कबीर दास जी ने जीवन को सुखी बनाने के बताए सूत्र-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि
कबीरदास जी के जन्म को लेकर मान्यता है कि कबीरदास जी ने रामानंद गुरु के आशीर्वाद से एक विधवा ब्रह्माणी के गर्भ से जन्म लिया था.समाज के भय से उन्होंने कबीर को काशी के पास लहरतारा नामक ताल के पास छोड़ दिया था, जिसके बाद एक जुलाहे ने उनका पालन पोषण किया. कबीरदास जी देशाटन करते थे और सदैव साधु-संतों की संगति में रहते थे।
कबीर दास निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे।वे एक ही ईश्वर को मानते थे। वे अंध विश्वास, धर्म व पूजा के नाम पर होने वाले आडंबरों के विरोधी थे।कबीरदास जी ने अपने दोहों में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए हैं. अगर इन सूत्रों को जीवन में उतार लिया जाए तो तमाम परेशानियां दूर हो सकती है।
थिंक मानव अधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि एक अंधविश्वास था कि जिसकी मृत्यु काशी में होगी वो स्वर्ग जाएगा और मगहर में होगी वो नर्क में जाएगा।इसी भ्रम को तोड़ने के लिए कबीर ने अपना जीवन काशी में गुजारा, जबकि प्राण मगहर में त्यागे थे।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ आरके शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट आदि ने कहा कि कबीर दास जयंती के अवसर पर, संत कबीर दास के अनुयायी दिन को पूरी तरह से उनकी मान्यता में समर्पित करते हैं और असाधारण उत्साह के साथ उनकी प्रशंसा की जाती है। इतना ही नहीं, वे संत कबीर दास के गाथागीत भी सुनाते हैं और सबक लेते हैं। संत कबीर दास अभी भी उन भक्तों के दिलों में जीवित हैं जो उनकी कविताओं और ‘कबीर के दोहे‘ के नाम से जाने जाने वाले दो-पंक्ति वाले दोहे में उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ